पार्टी संविधान

(नोट- पार्टी के संविधान का यह हिंदी अनुवाद अभी अधूरा है और कतिपय परिवर्तन अभी इसकि हिंदी अनुवाद में समाहित नहीं किये गए हैं. अतः पार्टी के अंग्रेजी संविधान को ही वर्तमान समय में आधिकारिक संविधान माना जाये.)

अनुच्छेद I:

पार्टी का नाम

आजाद अधिकार सेना

अनुच्छेद II:

I .बुनियादी सिद्धांत एवं दर्शन

  • लोकतांत्रिक मूल्यों और भारत के संविधान में विश्वास.
  • व्यक्ति की शक्ति (आम नागरिक का अधिकार) में विश्वास.
  • आजाद अधिकार सेना का मानना ​​​​है कि कार्यपालिका की तुलना में नागरिक के अधिकार श्रेष्ठ हैं, जिन्हें विधायिका द्वारा प्रख्यापित और न्यायपालिका द्वारा स्पष्ट किए गए कानून के प्रावधानों के माध्यम से ही छीना जा सकता है.
  • आजाद अधिकार सेना, सभी वर्ग, जाति, धर्म और लिंग के लोगों के बीच पूर्ण समानता में विश्वास करती है.

II. पार्टी की नीतियां, लक्ष्य एवं उद्देश्य

  • आजाद अधिकार सेना का प्राथमिक उद्देश्य, भारत के प्रत्येक नागरिक में यह भावना और अवधारणा पैदा करना है कि सभी शक्तियाँ (अधिकार) और प्राधिकारित्व उनमें निहित हैं ताकि, भारत का प्रत्येक नागरिक, भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त और विभिन्न विधियों, नियमों, विनियमों, कानूनों, उपनियमों आदि के माध्यम से उन्हें दी गई सभी शक्तियों और अधिकारात्व को प्राप्त कर सके.
  • आजाद अधिकार सेना भ्रष्टाचार मुक्त राज्य के लिए अनवरत कार्य करेगी; जो जीवन के हर क्षेत्र में, भारत के प्रत्येक नागरिक को पूर्ण गरिमा और मानवाधिकारों के उल्लंघन की पूर्ण अस्वीकार्यता सुनिश्चित करने का कार्य करेगी.
  • आजाद अधिकार सेना भारत के सभी नागरिकों को निम्न वस्तु/अवधारणा सुलभ कराने का कार्य करेगी:

न्याय :  सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक –  विकास के पायदान पर खड़े अंतिम व्यक्ति सहित सभी के लिए

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और उपासना की स्वतंत्रता

सभी व्यक्ति और समुदायों को जीवन के सभी क्षेत्रों में,  हैसियत और सुवसर की समानता दिलवाना और उन्हें बढ़ावा देना

व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को सुनिश्चित कराने वाली बन्धुत्वभाव का सशक्तिकरण.

  • आजाद अधिकार सेना अपने समस्त उद्देश्यों, बुनियादी दर्शन, लक्ष्य (मिशन) तथा दृष्टि (विज़न) की प्राप्ति के लिए एक सशक्त लोकतांत्रिक संगठन की रचना करने तथा समाज में अधिकारों के हनन का सम्यक विरोध करते हुए आम नागरिकों को अधिकार संपन्न बनाने का कार्य करेगी.
  • आजाद अधिकार सेना भारत के संविधान, प्रचलित और स्थापित कानून, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांतों के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखेगी और भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखेगी.

III. कार्यक्रम एवं गतिविधियाँ

पार्टी के बुनियादी सिद्धांत एवं दर्शन का पालन करते हुए पार्टी के उपरोक्त वर्णित नीतियों, लक्ष्य एवं उद्देश्यों की पूर्ण रूप से पूर्ति के लिए हर विधिसम्मत कार्य किया जाना तथा हर प्रकार की सक्रियता तथा गतिविधि करना, जिससे पार्टी के विजन तथा मिशन को पूरी तरह प्राप्त किया जा सके.

IV. लक्ष्य (विज़न)

संविधान द्वारा प्रदत्त वास्तविक शक्ति और राष्ट्र के कानूनों को इस देश के प्रत्येक नागरिक के हाथों और वास्तविक पकड़ में वापस लाना ताकि वे इसका सार्थक उपयोग कर सजें ।

V. दृष्टि (मिशन)

उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए और पार्टी के मूल दर्शन का पालन करते हुए, दृष्टि (विजन) को वास्तविकता में बदलने के लिए, कानूनी रूप से अनुमान्य समस्त संभव राजनैतिक गतिविधियों को किया जाना।

अनुच्छेद III: पार्टी की सदस्यता

भारत का प्रत्येक नागरिक, जो 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का हो और जो पार्टी के लक्ष्य, दृष्टि, बुनियादी दर्शन और उद्देश्यों का अनुपालन करता है; वह  पार्टी का सदस्य बनने के लिए पात्र है, बशर्ते कि वह

  • भारत निर्वाचन आयोग के साथ पंजीकृत किसी अन्य राजनैतिक दल का सदस्य नहीं है;
  • किसी ऐसे संगठन का सदस्य नहीं है, जिसके विचार, नीतियाँ या कार्य पार्टी के लक्ष्य, दृष्टि, बुनियादी दर्शन और उद्देश्यों के विपरीत हों; और/या
  •  नैतिक अधमता से जुड़े किसी भी अपराध के लिए, न्यायालय द्वारा दोषी नहीं ठहराया गया है; यहाँ नैतिक अधमता का अर्थ, एक ऐसा कार्य या व्यवहार होगा, जो समुदाय की भावना या स्वीकृत मानक का गंभीर रूप से उल्लंघन करता है; इन अपराधों में ऐसे अपराध शामिल हैं, जो भारतीय समाज या उसके किसी हिस्से की नींव को झकझोरते हैं या उस पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

नोट- किसी अपराध में नैतिक अधमता शामिल है या नहीं, इसका निर्णय, पार्टी की संबंधित अनुशासन समिति द्वारा मामले-दर-मामले के आधार पर किया जाएगा। संबंधित अनुशासन समिति, अपने किसी भी निर्णय में निहित कारणों को सार्वजनिक करेगी, सिवाय उन अंशों के, जिनको सार्वजानिक किया जाना, देश के कानून द्वारा निषिद्ध हैं।

नोट- यह स्पष्ट किया जाता है कि पार्टी की सदस्यता में किसी भी प्रकार का अन्य कोई निषेध नहीं है और 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी भारतीय नागरिक पार्टी का सदस्त बन सकता है.

  1. सदस्यता की श्रेणी

सदस्यों की दो श्रेणियाँ होंगी:

  • साधारण सदस्य: प्रत्येक व्यक्ति, जो निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार पार्टी का सदस्य बनता है, एक साधारण सदस्य होगा। एक साधारण सदस्य को मतदान का कोई अधिकार नहीं होगा।
  •  सक्रिय सदस्य: एक साधारण सदस्य छह (06) महीने की सामान्य सदस्यता की अवधि के पूरा होने के बाद पार्टी द्वारा निर्धारित अन्य मानदंडों एवं अर्हताओं को पूरा करते हुए, पार्टी का एक सक्रिय सदस्य बन जाएगा; जब तक कि उसे पार्टी के विशिष्ट आदेश या निर्देश के माध्यम से सक्रिय सदस्य बनने से वंचित नहीं किया गया हो। एक सक्रिय सदस्य को वोट देने का अधिकार होगा।

नोट- संबंधित अनुशासन समिति को एक सदस्य को सक्रिय सदस्य के रूप में अपात्र घोषित करने का अधिकार है; जो इस संबंध में एक तर्कपूर्ण आदेश जारी करेगी, जिसे सार्वजनिक किया जाएगा, सिवाय इसके उन अंशों को छोड़कर, जो देश के कानून द्वारा निषिद्ध हैं।

  1. सदस्यता प्रक्रिया
  2. पार्टी द्वारा निर्धारित घोषणा के बाद और समय-समय पर निर्धारित सदस्यता शुल्क जमा करने के बाद, एक व्यक्ति, पार्टी का एक साधारण सदस्य बन जाएगा।
  3. पार्टी राष्ट्रीय, राज्य, जिला और विधान सभा स्तर पर अपने सदस्यों का एक रजिस्टर बना कर  रखेगी; जैसा कि विनियमों में निर्धारित किया जा सकता है।
  4. राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राज्य कार्यकारिणी के पास छः (06) महीने की आवश्यक अवधि से पहले भी किसी भी व्यक्ति को सक्रिय सदस्य का दर्जा प्रदान करने की शक्ति होगी। ऐसा निर्णय लेने के लिए कोई कारण निर्दिष्ट करने की आवश्यकता नहीं है।
  5. एक सक्रिय सदस्य समय-समय पर निर्धारित सदस्यता शुल्क का भुगतान करेगा।
  6. कोई व्यक्ति साधारणतया अपने स्थायी निवास स्थान पर पार्टी का सदस्य बन सकता है और वह एक से अधिक स्थानों पर सदस्य नहीं हो सकता।
  7. यदि कोई सदस्य अपना निवास स्थान बदलता है, तो उसे संबंधित इकाइयों को लिखित रूप में इसकी सूचना देनी चाहिए ताकि तदनुसार उसे पूर्व निवास स्थान से नवीन निवास स्थान के क्षेत्र में साधारण सदस्य की सूची में सूचीबद्ध किया जा सके ।
  8. अवधि
  9. साधारण सदस्य का कार्यकाल आजीवन रहेगा; जब तक कि नीचे वर्णित किसी भी कारण से उसे सदस्य के रूप में अस्वीकार नहीं जाता है।
  10. सक्रिय सदस्यता की अवधि 3 वर्ष होगी। एक सदस्य को हर 3 साल के बाद, अपनी सदस्यता का नवीनीकरण करवाना होगा। इस खंड के लिए प्रयुक्त वर्ष का अर्थ उस वर्ष के 1 अप्रैल से अगले वर्ष के 31 मार्च तक की तारीख होगी।
  11. सदस्यता की समाप्ति

एक व्यक्ति, इन स्थिति में पार्टी का सदस्य नहीं रहेगा:

  •  मृत्यु;
  • इस्तीफा;
  • निष्कासन / हटाना;
  • सदस्यता का नवीनीकरण न करना;
  • यदि वह किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल हो गया हो;
  • नैतिक अधमता से जुड़े अपराध के लिए अदालत द्वारा दोषी ठहराया जाना, जहाँ नैतिक अधमता के पहलू को ऊपर विस्तार में उल्लिखित किया  गया है
  • सदस्यता से निलंबन

प्रदेश कार्यकारिणी या राष्ट्रीय कार्यकारिणी, किसी सक्रिय सदस्य को अनुशासनात्मक कार्यवाही के लंबित रहने तक, पार्टी की सदस्यता से निलंबित कर सकती है।

अनुच्छेद IV: पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में, प्राथमिक स्तर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर निम्नलिखित अंग शामिल होंगे:

  1. प्राथमिक स्तर
  2. ग्राम समिति –  प्रत्येक ग्राम सभा (ग्राम पंचायत) के लिए
  3. प्रखंड समिति –  प्रत्येक विकास खंड (मंडल) के लिए
  4. विधान सभा समिति –  प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र के लिए
  5. बड़े शहरों और महानगरों सहित जिलों के लिए, जिला समिति, स्थानीय तथ्यों और शर्तों के अनुसार राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा जिलों का वर्णन, निर्धारण और परिभाषित किया जाएगा
  6. विभिन्न क्षेत्रीय समिति- पार्टी की उपयोगिता तथा आवश्यकता के अनुसार प्रत्येक राज्य में मंडल स्तर पर मंडल समिति, कुछ मंडलों को जोड़ कर बनायीं गयी जोनल समिति तथा कुछ ज़ोन को जोड़ कर बनायीं गयी क्षेत्रीय समिति. उक्त मंडल समिति, जोनल समिति तथा क्षेत्रीय समिति का स्वरुप एवं क्षेत्र निर्धारण राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा प्रत्येक राज्य की आवश्यकता के अनुसार किया जायेगा
  1. प्रदेश स्तर
  2. प्रदेश परिषद
  3. प्रदेश कार्यकारिणी
  1. राष्ट्रीय स्तर
  2. राष्ट्रीय परिषद
  3. राष्ट्रीय कार्यकारिणी

इसके अतिरिक्त पार्टी में सभी स्तरों पर विभिन्न प्रकोष्ठ/ईकाई होंगे, जो राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित विभिन्न नामों से जाने जायेंगे.

इन तमाम अन्य प्रकोष्ठों के गठन का अधिकार राष्ट्रीय परिषद् को होगा, जो समय-समय पर पार्टी की आवश्यकता के आधार पर सीमित अथवा असीमित अवधि के लिए विभिन्न प्रकोष्ठों के गठन को स्वीकृति देंगे.

ये सभी प्रकोष्ठ अपने-अपने निर्धारित हित-समूहों के लिए कार्य करेंगे. इन सभी प्रकोष्ठों के कार्य तथा उद्देश्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी की संस्तुति पर राष्ट्रीय परिषद् द्वारा निर्धारित किये जायेंगे. इन सभी प्रकोष्ठों का मुख्य उद्देश्य पार्टी के बुनियादी सिद्धांतों, नीति, कार्य एवं उद्देश्यों के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता रखते हुए अपने विशिष्ट समूहों के हितों की रक्षा करने के लिए समस्त आवश्यक कार्य करना है.

इन सभी प्रकोष्ठों में चुनाव की प्रक्रिया आवश्यकतानुसार राष्ट्रीय परिषद् द्वारा निर्धारित की जाएगी.

समय समय पर सृजित समस्त प्रकोष्ठ सहित ग्राम स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक प्रत्येक स्तर के प्रत्येक पदाधिकारी के लिए पद-धारण की अवधि 04 (चार) वर्ष होगी तथ इन सभी पदों के लिए इस चार वर्ष की अवधि पूर्ण होने के पूर्व उन पदों के लिए अनिवार्य रूप से निर्वाचन कार्य संपन्न कर लिया जायेगा.    

प्राथमिक स्तर

ग्राम समिति

इसमें एक ग्राम सभा (ग्राम पंचायत) के सभी सदस्य (सामान्य और सक्रिय दोनों सदस्य) शामिल होंगे, जिसकी अध्यक्षता एक ग्राम अध्यक्ष करेंगे, जिसकी सहायता के लिए एक ग्राम उपाध्यक्ष, एक ग्राम सचिव और अधिकतम 15 सदस्य होंगे. ग्राम समिति पार्टी द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार अपने में एक व्यक्ति को ग्राम अध्यक्ष, एक को ग्राम उपाध्यक्ष तथा एक व्यक्ति को ग्राम सचिव चुनेगी.  

प्रखंड/ब्लाक समिति

इसमें एक ब्लॉक अध्यक्ष, एक ब्लॉक उपाध्यक्ष, एक ब्लॉक सचिव और अधिकतम 25 सदस्य होंगे. ब्लाक समिति पार्टी द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार अपने में एक व्यक्ति को ब्लाक अध्यक्ष, एक को ब्लाक उपाध्यक्ष तथा एक व्यक्ति को ब्लाक सचिव चुनेगी.

विधान सभा समिति

इसमें एक विधान सभा अध्यक्ष, एक विधान सभा उपाध्यक्ष, एक विधान सभा सचिव और अधिकतम 30 सदस्य होंगे. विधान सभा समिति पार्टी द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार अपने में एक व्यक्ति को विधान सभा अध्यक्ष, एक को विधान सभा उपाध्यक्ष तथा एक व्यक्ति को विधान सभा सचिव चुनेगी.

जिला समिति

इसमें एक जिला अध्यक्ष, एक जिला उपाध्यक्ष, एक जिला सचिव और अधिकतम 45 सदस्य होंगे. जिला समिति पार्टी द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार अपने में एक व्यक्ति को जिला अध्यक्ष, एक को जिला उपाध्यक्ष तथा एक व्यक्ति को जिला सचिव चुनेगी.

क्षेत्रीय समितियां

प्रत्येक क्षेत्रीय समिति में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, एक सचिव और अधिकतम 25 सदस्य होंगे. प्रत्येक क्षेत्रीय समिति पार्टी द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार अपने में एक व्यक्ति को सम्बंधित क्षेत्रीय समिति अध्यक्ष, एक को क्षेत्रीय समिति उपाध्यक्ष तथा एक व्यक्ति को क्षेत्रीय समिति सचिव चुनेगी.

समस्त ग्राम समितियां, ब्लाक समितियां, विधान सभा समितियां, जिला समितियां तथा क्षेत्रीय समितियां अपने-अपने क्षेत्रान्तर्गत देश के कानून, पार्टी के संविधान तथा संबंधित प्रदेश परिषद्, प्रदेश कार्यकारिणी, राष्ट्रीय परिषद् तथा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के निर्देशों, आदेशों तथा स्थायी आज्ञाओं के अनुसार पार्टी के कार्यों का संचालन एवं समन्वय करेंगी. वे अपने-अपने क्षेत्र में पार्टी की प्रधान ईकाई होंगी तथा अपने क्षेत्र में पार्टी का पूर्ण प्रतिनिधित्व करेंगी. वे अपने अपने अधीनस्थ ईकाई तथा उच्चतर ईकाई के मध्य सेतु का भी कार्य करेंगी तथा पार्टी के नियमों के अधीन अपने क्षेत्र में आवश्यकतानुसार निर्णय लेने हेतु पूर्णतया स्वतंत्र एवं अधिकृत होंगी.  इस प्रकार इन सभी समितियों का पार्टी के दैनिक क्रिया कलाप में विशेष महत्व, स्थान एवं आवश्यकता होगी.

प्रदेश स्तरीय समितियाँ

प्रदेश परिषद

  1. प्रत्येक प्रदेश परिषद में, उस प्रदेश में आने वाली सभी प्राथमिक इकाइयों के अध्यक्ष शामिल होंगे। इसके अलावा, इसमें पार्टी के सभी संसद सदस्य, राज्य विधानमंडल के सदस्य और उस राज्य की विधान परिषद के सदस्य भी शामिल होंगे। साथ ही समय समय पर राष्ट्रीय परिषद् द्वारा सृजित विभिन्न प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्ष भी इसके सदस्य होंगे.
  2. प्रदेश परिषद के कार्य और शक्तियाँ:
  3. प्रदेश परिषद, प्रदेश कार्यकारिणी का चुनाव करेगी।
  4. प्रदेश परिषद को प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश उपाध्यक्ष और/या प्रदेश कार्यकारिणी के एक या अधिक सदस्यों/पदाधिकारियों को पदच्युत करने की शक्ति होगी।
  5. यह हर वर्ष, कम से कम एक बार बैठक करेगी।
  6. यह उस प्रदेश से संबंधित मुद्दों पर पार्टी के रुख और नीति को तय करेगी ।

प्रदेश कार्यकारिणी

  1. रचना
  2. प्रत्येक प्रदेश कार्यकारिणी में अधिकतम 25 सदस्य होंगे, जो राष्ट्रीय परिषद द्वारा निर्धारित की गयी चुनाव की प्रक्रिया से, प्रदेश परिषद के सदस्यों द्वारा चुने जाएँगे।
  3. यदि किसी इकाई का सदस्य, प्रदेश कार्यकारिणी के लिए चुना जाता है; तो वह संबंधित प्राथमिक इकाई से इस्तीफा दे देगा।
  4. प्रदेश कार्यकारिणी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं और अल्पसंख्यकों जैसे वंचित सामाजिक समूहों को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए 5 सदस्यों को सहयोजित कर सकती है; यदि इनमें से किसी भी समूह का प्रतिनिधित्व कम है।
  5. उपरोक्त उपखंड (1) में निर्दिष्ट सदस्य, अपने में से एक व्यक्ति को, प्रदेश अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित करेंगे।
  6. प्रदेश कार्यकारिणी के कार्य और शक्तियाँ:
  7. प्रदेश कार्यकारिणी, पार्टी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जितनी आवश्यक हो, उतनी टीमों का गठन करेगी।
  8. यह अपने सदस्यों में से एक व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष और एक व्यक्ति को प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में चुनेगी।
  9. यह अपने सदस्यों में से एक व्यक्ति को प्रदेश महासचिव और एक व्यक्ति को कोषाध्यक्ष के रूप में चुनेगी।
  10. यह उस प्रदेश में पार्टी पदाधिकारियों की गतिविधियों की निगरानी और पर्यवेक्षण करेगी।
  11. यह ऐसी सभी क्रियाएँ करेगी, जो उस प्रदेश में पार्टी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक हैं।
  12. यह उस प्रदेश को प्रभावित करने वाले सार्वजनिक मुद्दों से संबंधित विभिन्न प्रकार के आवश्यक क्रियाकलाप करेगी।
  13. यह राज्य स्तरीय वित्त का लेखा-जोखा का अनुरक्षण और रख-रखाव करेगी।
  14. यह आंतरिक विवादों, शिकायतों और अनुशासनात्मक कार्रवाइयों के निपटारे के लिए, प्रदेश स्तरीय समितियाँ बनाएगी।

राष्ट्रीय स्तर:

राष्ट्रीय परिषद

  1. राष्ट्रीय परिषद, पार्टी की साधारण सभा तथा सर्वोच्च नीति बनाने वाली संस्था होगी। राष्ट्रीय परिषद में, सभी राज्यों तथा प्राथमिक ईकाइयों के अध्यक्ष के साथ शामिल होंगे; और इसमें पार्टी के सभी संसद सदस्य, राज्य विधान के सदस्य और पार्टी की विधान परिषद के सदस्य भी शामिल होंगे। साथ ही राष्ट्रीय परिषद् द्वारा समय-समय पर सृजित विभिन्न प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी इसमें शामिल होंगे। इसके अलावा, उचित समझे जाने पर, यह विशेषज्ञों, प्रख्यात लोगों और वंचित सामाजिक समूहों के सदस्यों में से अधिकतम 50 सदस्यों को सहयोजित कर सकती है। यदि इस प्रकार सहयोजित सदस्य, पहले से ही पार्टी के सक्रिय सदस्य नहीं हैं;  तो उन्हें सहयोजित होते ही, पार्टी के सक्रिय सदस्य के रूप में समझा जाएगा और उन्हें राष्ट्रीय परिषद के अन्य सदस्यों की तरह मतदान सहित सभी अधिकार प्राप्त होंगे।
  2. राष्ट्रीय परिषद के कार्य और शक्तियाँ:
  3. राष्ट्रीय परिषद, राष्ट्रीय कार्यकारिणी का चुनाव करेगी।
  4. इसे राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों को पदच्युत करने का अधिकार होगा।
  5. इसे पार्टी के इस संविधान में संशोधन करने की शक्ति होगी।
  6. राष्ट्रीय परिषद, प्रत्येक वर्ष में, कम से कम एक बार बैठक करेगी।
  7. यह राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर, पार्टी के रुख और नीति का फैसला करेगी

राष्ट्रीय कार्यकारिणी:

राष्ट्रीय कार्यकारिणी, पार्टी की सर्वोच्च कार्यकारी निकाय होगी। यह राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की गतिविधियों का आयोजन और समन्वय करेगी।

  1. रचना –
  2. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अधिकतम 30 सदस्य होंगे; जो राष्ट्रीय परिषद द्वारा निर्धारित की गयी चुनाव की प्रक्रिया द्वारा चुने जाएँगे।
  3. यदि किसी इकाई का कोई सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए चुना जाता है; तो वह संबंधित इकाई से इस्तीफा देगा।
  4. वंचित सामाजिक समूहों को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, 5 सदस्यों को सहयोजित कर सकती है; यदि इनमें से किसी भी समूह का प्रतिनिधित्व कम है। यदि सहयोजित सदस्य, पहले से पार्टी के सक्रिय सदस्य नहीं हैं; तो उनके सहयोजित होते ही, उन्हें पार्टी के सक्रिय सदस्य के रूप में माना जाएगा और उनके पास मतदान सहित कार्यकारिणी के निर्वाचित सदस्यों के सभी अधिकार होंगे। सभी सहयोजित सदस्यों को पार्टी सदस्यों के लिए, निर्धारित योग्यता आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।
  5. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कार्य
  6. राष्ट्रीय कार्यकारिणी, पार्टी की सर्वोच्च कार्यकारी निकाय होगी।
  7. यह राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की गतिविधियों का आयोजन और समन्वय करेगी
  8.  राष्ट्रीय कार्यकारिणी पार्टी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जितनी आवश्यक हो, उतनी टीमों का गठन करेगी।
  9. यह अपनों में से किसी एक व्यक्ति को पार्टी अध्यक्ष तथा एक व्यक्ति को पार्टी उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त करेगी।
  10. यह एक व्यक्ति को राष्ट्रीय सचिव और एक व्यक्ति को राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष के रूप में नियुक्त करेगी।
  11. यह पार्टी के राष्ट्रीय सचिवालय के गठन को मंजूरी देगी।
  12. राष्ट्रीय कार्यकारिणी, देश और राष्ट्रीय सचिवालय में, विभिन्न स्तरों पर पार्टी पदाधिकारियों की गतिविधियों की निगरानी और निगरानी करेगी।
  13. यह देश में पार्टी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक सभी कार्य एवं क्रियाकलाप करेगी।
  14.  राष्ट्रीय कार्यकारिणी, सार्वजनिक मुद्दों से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का संचालन करेगी।
  15. राष्ट्रीय कार्यकारिणी, राष्ट्रीय स्तर के वित्त का लेखा-जोखा का अनुरक्षण और उसका रख-रखाव करेगी तथा अपनी पार्टी के खाते को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट से ऑडिट करवाते हुए प्रत्येक वित्तीय वर्ष के 60 दिनों के अन्दर भारत निर्वाचन आयोग को इस ऑडिट आख्या की प्रति प्रेषित करेगी.
  16. राष्ट्रीय कार्यकारिणी आंतरिक विवादों, शिकायतों और अनुशासनात्मक कार्रवाइयों के निपटारे के लिए राष्ट्रीय स्तर की समितियाँ बनाएगी।
  17. राष्ट्रीय कार्यकारिणी को राष्ट्रीय अध्यक्ष, सचिव या कोषाध्यक्ष को पदच्युत करने का अधिकार होगा।
  18. राष्ट्रीय कार्यकारिणी, इस संविधान के तहत नियम और विनियम बनाएगी।
  19. राष्ट्रीय कार्यकारिणी किसी भी चुनाव या किसी अन्य राजनीतिक गतिविधियों के लिए, उम्मीदवारों के चयन के लिए, चयन और प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए किसी भी संगठन / समिति / टीम को अधिकृत करेगी।
  20. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास ऐसे अंग/समिति/प्राधिकारियों के अस्तित्व के अभाव में, किसी भी अंग/समिति/प्राधिकारियों को प्रदत्त सभी शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार होगा।
  21. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास किसी अंग/समिति/टीम को निलंबित/विघटित करने या किसी अंग/टीम/समिति के किसी पदाधिकारी/सदस्य को हटाने की शक्ति होगी।
  22. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास, वे सभी अवशिष्ट शक्तियाँ होंगी; जो इस संविधान में, किसी अन्य निकाय / अंग / समिति / प्राधिकरण को विशेष रूप से नहीं सौंपी गई हैं।

इसके अतिरिक्त समस्त प्रकोष्ठों में विभिन्न स्तरों पर एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, एक सचिव तथा एक कोषाध्यक्ष होंगे. साथ ही प्रत्येक स्तर की कार्यकारिणी में अधिकतम 25 सदस्य होंगे. इन सभी स्तरों पर कार्य पद्धति, प्रक्रिया तथा प्रणाली राष्ट्रीय परिषद् द्वारा निर्धारित की जाएगी.

पार्टी का कार्य पूरी तरह लोकतांत्रिक प्रणाली के अनुसार संचालित होगा तथा प्रत्येक स्तर पर प्रत्येक निर्णय सम्बंधित ईकाई/संगठन द्वारा मात्र बहुमत के आधार पर लिया जायेगा. किसी भी स्तर पर किसी भी ईकाई में निर्णय की प्रक्रिया के दौरान टाई (बराबरी) होने की स्थिति में संबंधित ईकाई/समिति/संगठन के अध्यक्ष (चाहे वे किसी भी नाम से जाने जाते हों) का मत निर्णायक होगा तथा अध्यक्ष के मत के आधार पर ही प्रकरण का निर्णय होगा.

अनुच्छेद V: पार्टी के पदाधिकारी, इन पदाधिकारियों में से प्रत्येक की शक्तियाँ और कार्य

निम्नलिखित विभिन्न स्तरों पर पार्टी के पदाधिकारी होंगे:

प्राथमिक स्तर –

ग्राम समिति/ग्राम सभा-

(i) ग्राम अध्यक्ष

(ii) ग्राम उपाध्यक्ष

(iii) ग्राम सचिव

प्रखंड/मंडल समिति-

(i) ब्लॉक अध्यक्ष

(ii) ब्लॉक उपाध्यक्ष

(iii) ब्लॉक सचिव

विधान सभा समिति-

(i) विधान सभा अध्यक्ष

(ii) विधान सभा उपाध्यक्ष

(iii) विधान सभा सचिव

जिला समिति-

(i) जिला अध्यक्ष

(ii) जिला उपाध्यक्ष

(iii) जिला महासचिव

मंडल/जोनल/क्षेत्रीय समिति-

(i) मंडल/जोनल/क्षेत्रीय अध्यक्ष

(ii) मंडल/जोनल/क्षेत्रीय उपाध्यक्ष

(iii) मंडल/जोनल/क्षेत्रीय महासचिव

प्रदेश स्तर

(i) प्रदेश अध्यक्ष

(ii) प्रदेश उपाध्यक्ष

(iii) प्रदेश कोषाध्यक्ष

(iv) प्रदेश महासचिव

राष्ट्रीय स्तर

(i) राष्ट्रीय अध्यक्ष

(ii) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

(iii) राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष

(iv) राष्ट्रीय महासचिव

इसके अतिरिक्त समय-संजय पर सृजित विभिन्न प्रकोष्ठों के लिए विभिन्न प्राथमिक, प्रदेश तथा राष्ट्रीय स्तर पर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव तथा कोषाध्यक्ष पद के पदाधिकारी होंगे.

पदाधिकारियों की शक्तियाँ और कार्य

विभिन्न ईकाई/प्रकोष्ठ/स्तर पर अध्यक्ष–

  • अध्यक्ष संबंधित स्तर पर पार्टी के कामकाज के प्रभारी होंगे।
  • वह सभा की बैठक का आह्वान और उसका आयोजन तथा संचालन करेंगे।
  • वह संबंधित सभा की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।
  • वह पार्टी/ईकाई/प्रकोष्ठ के निर्णयों को लागू और निष्पादित करेंगे और उस स्तर पर कार्यकारिणी के परामर्श से समय-समय पर सौंपे गए सभी कार्यों को पूरा करेंगे।

विभिन्न ईकाई/प्रकोष्ठ/स्तर पर उपाध्यक्ष–

  • वह संबंधित ईकाई/प्रकोष्ठ /स्तर के अध्यक्ष की सहायता करेगा।
  • वह संबंधित ईकाई/प्रकोष्ठ /स्तर के अध्यक्ष द्वारा सौंपे गए/निर्देशित सभी कार्यों को करेगा।
  • वह, किसी भी कारण से अध्यक्ष की अनुपस्थिति में, संबंधित ईकाई/प्रकोष्ठ/स्तर के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा।

विभिन्न ईकाई/प्रकोष्ठ/स्तर के सचिव/ महासचिव

  • सचिव/ महासचिव, संबंधित स्तर पर सचिवालय के दिन-प्रतिदिन के मामलों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगा।
  • वह संबंधित स्तर पर, रिकॉर्ड बनाए रखने और बैठकों के मिनट रखने के लिए जिम्मेदार होगा।
  • वह पार्टी द्वारा समय-समय पर दिए गए सभी कार्यों को करने के लिए जिम्मेदार होगा।
  • राष्ट्रीय महासचिव, किसी भी मामले में, किसी भी स्तर पर सभी कानूनी उद्देश्यों के लिए पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे।

विभिन्न ईकाई/प्रकोष्ठ/स्तर के कोषाध्यक्ष

  • कोषाध्यक्ष संबंधित स्तर पर खातों के रखरखाव के लिए जिम्मेदार होगा।
  • वह खातों के रखरखाव आदि के संबंध में, समय-समय पर जारी सभी दिशानिर्देशों और निर्देशों का पालन करेगा।
  • राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष, यह सुनिश्चित करेगा कि पार्टी के खातों को ठीक से बनाए रखा जाता है, और पार्टी के पैनल पर एक लेखा परीक्षक द्वारा ऑडिट किया जाता है।
  • राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष, यह सुनिश्चित करेगा कि खातों और पार्टी फंड के संबंध में सभी वैधानिक अनुपालन विधिवत किए गए हैं और पार्टी के लेखा परीक्षित वार्षिक खाते लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत, निर्धारित समय के भीतर, भारत के चुनाव आयोग को प्रस्तुत किए गए हैं
  • राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पार्टी के खाते को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट से ऑडिट करवाते हुए प्रत्येक वित्तीय वर्ष के 60 दिनों के अन्दर भारत निर्वाचन आयोग को इस ऑडिट आख्या की प्रति प्रेषित किया जाना सुनिश्चित करेगा.

जैसा संविधान के विभिन्न प्रस्तरों में अंकित है, सभी उच्चस्तरीय एवं प्रतिनिधि ईकाई का गठन मात्र लोकतांत्रित निर्वाचन प्रक्रिया के माध्यम से किया जायेगा.  पार्टी के सभी पदों हेतु निर्वाचन पूरी तरह लोकतांत्रिक ढंग से होगा, जो राष्ट्रीय परिषद् द्वारा अनुमोदित तथा राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा प्रतिपादित एवं स्थापित एक आतंरिक निर्वाचन समिति द्वारा संपादित किया जायेगा, जो इस आतंरिक निर्वाचन समिति के स्वरुप, समयावधि, कार्य तथा प्रक्रिया का निर्धारण करेगा.  

अनुच्छेद VI: विवाद समाधान और अनुशासन के नियम

  1. आचार संहिता

पार्टी का प्रत्येक सदस्य निम्नलिखित आचार संहिता का पालन करेगा:

  • पदाधिकारियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों सहित सदस्य, पार्टी मंच के भीतर और बाहर, सार्वजनिक रूप से अपनी राय व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
  • पार्टी के सदस्यों की पार्टी फोरम में अर्थात पार्टी के अन्दर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर, किसी भी प्रकार का कोई निषेध नहीं है, जब तक वह अभिव्यक्ति भारत के किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं हो अथवा किसी अन्य साथी/सहयोगी के लिए स्पष्टतया अपमानजनक, व्यक्तिगत आक्षेपयुक्त एवं अमर्यादित नहीं हो.
  • पार्टी के सदस्यों द्वारा पब्लिक फोरम/प्लेटफार्म पर पार्टी के हितों के विपरीत तथा पार्टी को कुप्रभावित करने वाली टिप्पणियों पर स्पष्ट रूप से निषेध रहेगा और ऐसे कार्य व आचरण को स्पष्ट रूप से कदाचार एवं अनुशासनहीनता माना जायेगा.
  • पब्लिक फोरम/प्लेटफार्म पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में निषेध में पार्टी एवं पार्टी की नीति, कार्य  आदिकी सार्वजनिक निंदा तथा पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के संबंध में सार्वजनिक रूप से अनुचित, आपत्तिजनक तथामानहानिपरक टिप्पणियां सम्मिलित होंगी.  
  • कोई सदस्य नैतिक अधमता से जुड़े किसी भी अपराध का दोषी नहीं ठहराया गया हो, जैसा कि ऊपर वर्णित और समझाया गया है।
  • किसी सदस्य के खिलाफ, किसी भी अनैतिक, अनुचित या अवैध गतिविधि में शामिल होने या खुद को किसी भी भ्रष्ट आचरण में शामिल करने या किसी ऐसे संगठन का हिस्सा होने की शिकायत, जो धर्म या जाति के आधार पर असामंजस्य फैलाता है, या अस्पृश्यता को बढ़ावा देता है, या महिला का शोषण या दुर्व्यवहार करने में संलग्न है, या नशीली दवाओं की लत या नशे में व्यवहार में लिप्त है आदि को गंभीरता से देखा जाएगा; और इस संबंध में निष्कर्ष, संबंधित अनुशासन समिति द्वारा एक जांच करने के बाद निकाला जाएगा; जिसके समक्ष शिकायतकर्ता और पार्टी सदस्य को अपना-अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाएगा; और अंतिम निर्णय इस जांच के आधार पर निकाला जाएगा,  जो कि सार्वजनिक किया जा सकता है; उस सीमा तक, जो कानून के किसी भी प्रावधान द्वारा निषिद्ध नहीं है।
  1. शिकायतों और आंतरिक विवादों, शिकायतों आदि सहित किसी भी अन्य मामले के लिए अनुशासनिक प्राधिकारी

इन सभी मामलों को अनुशासनात्मक समितियों द्वारा संबंधित स्तरों पर निपटाया जाएगा; जिसमें शिकायतें प्रस्तुत की गई हैं। राष्ट्रीय स्तर की अनुशासन समिति का गठन, राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा किया जायेगा; जबकि, प्रदेश स्तरीय एवं जिला स्तरीय अनुशासन समिति का गठन, राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा बनाये गये विनियमों के अनुसार, प्रदेश कार्यकारिणी द्वारा किया जायेगा।

हालाँकि, अधीनस्थ अनुशासनात्मक समितियाँ, यदि वे ऐसा उचित समझें तो, मामले को अपने से ठीक ऊपर की अनुशासनात्मक समितियों को संदर्भित कर सकती हैं। इसी तरह, प्रत्येक उच्चस्तरीय अनुशासन समिति, यदि उसे ऐसा लगता है, तो, मामले को अपने अधीनस्थ किसी भी निचले स्तर की अनुशासन समिति को भेज सकती है।

राष्ट्रीय स्तर और प्रदेश स्तर पर अनुशासन समिति में 07 (सात) व्यक्ति शामिल होंगे; जिन्हें, जैसा भी मामला हो,  राष्ट्रीय कार्यकारिणी/प्रदेश कार्यकारिणी द्वारा नामित किया जाएगा। जिला स्तर पर अनुशासन समिति में, 03 (तीन) व्यक्ति शामिल होंगे; जिन्हें संबंधित राज्य कार्यकारिणी द्वारा नामित किया जाएगा।

  1. दंड

अनुशासनात्मक कार्रवाई के परिणामस्वरूप, पार्टी द्वारा चेतावनी, निलंबन या निष्कासन जैसे दंड पारित किये जा सकते हैं। किसी सदस्य को उसके खिलाफ आरोपों को समझाने और जवाब देने का अवसर दिए बिना, किसी सदस्य के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। यदि प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रस्तावित है; तो, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की स्वीकृति के बाद ही उसका क्रियान्वयन किया जाएगा।

अनुच्छेद VII: कार्य संचालन के नियम

  1. बैठक

संबंधित अध्यक्ष, राष्ट्रीय/ प्रदेश परिषद व कार्यकारिणी और सम्बंधित प्राथमिक इकाई/प्रकोष्ठ की बैठकों की अध्यक्षता करेंगे। किन्हीं कारणों से अध्यक्ष की अनुपस्थिति में संबंधित निकाय के उपाध्यक्ष, उक्त बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

  1. बैठकों की आवधिकता

विभिन्न स्तरों पर परिषदों की बैठक, कम से कम निम्नलिखित अंतरालों पर होनी चाहिए:

प्रदेश स्तर: वर्ष में एक बार

राष्ट्रीय स्तर: वर्ष में एक बार

विभिन्न स्तरों पर कार्यकारिणी, कम से कम निम्नलिखित अंतरालों पर बैठक करेंगे:

प्रदेश स्तर: वर्ष में एक बार

राष्ट्रीय स्तर: वर्ष में एक बार

प्राथमिक इकाई की बैठक, तिमाही में कम से कम एक बार अवश्य होगी

इसके अतिरिक्त समय समय पर सृजित विभिन्न प्रकोष्ठ भी राष्ट्रीय तथा प्रदेश स्तरों पर वर्ष में कम से कम एक बार तथा प्राथमिक स्तरों पर तीन माह में कम से कम एक बार अपनी बैठक अवश्य करेंगे.

यदि आवश्यक हो, तो संबंधित परिषद/कार्यकारिणी के 1/3 सदस्यों द्वारा सम्बंधित परिषद/कार्यकारिणी की बैठक की मांग की जा सकती है।

  1. कोरम

सभी बैठकों के लिए कोरम, संबंधित निकाय की सदस्यों की संख्या का एक तिहाई होगा। यदि नियत समय पर कोरम पूरा नहीं होता है;  तो इकट्ठे हुए लोग अधिकतम 30 मिनट तक प्रतीक्षा करेंगे। यदि आवश्यक कोरम तब  भी उपलब्ध नहीं होता है; तो बैठक स्थगित कर दी जाएगी। फिर एक नई बैठक बुलाई जाएगी और इस बैठक के लिए कोरम की कोई आवश्यकता नहीं होगी।

आपातकालीन या असाधारण बैठकों के मामले में, कोरम की कोई आवश्यकता नहीं होगी। तथापि, ऐसी बैठकों में पारित प्रस्तावों को संबंधित निकाय की अगली साधारण बैठक में अनुसमर्थित करना आवश्यक होगा।

  1. नोटिस

विभिन्न निकायों की साधारण बैठकों के लिए नोटिस की अवधि निम्नानुसार होगी:

जिला इकाई/प्राथमिक इकाई – 2 दिन

प्रदेश परिषद – 7 दिन

प्रदेश कार्यकारिणी – 2 दिन

राष्ट्रीय परिषद – 7 दिन

राष्ट्रीय कार्यकारिणी – 2 दिन

यह समयावधि विभिन्न प्रकोष्ठों के सम्बंधित स्तर की ईकाइयों पर भी लागू होगी.

प्राथमिक इकाई या प्रदेश/राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आपात बैठकें संबंधित अध्यक्ष द्वारा उचित समझे जाने पर, ऐसी सूचना देकर बुलाई जा सकती हैं। ऐसी बैठकों के लिए उपरोक्त वर्णित समयावधि लागू नहीं होगी।

सदस्य प्राथमिक इकाई या प्रदेश/राष्ट्रीय कार्यकारिणी या प्रदेश/राष्ट्रीय परिषद की बैठकों में, व्यक्तिगत रूप से या वीडियो/टेलीकॉन्फ्रेंस के माध्यम से भाग ले सकते हैं।

  • निर्णय लेना

किसी भी बैठक में, सभी स्तरों पर सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाएँगे; सर्वसम्मति न होने की स्थिति में, निर्णय बहुमत से लिए जाएँगे. किसी भी स्तर पर किसी भी ईकाई में निर्णय की प्रक्रिया के दौरान टाई (बराबरी) होने की स्थिति में संबंधित ईकाई/समिति/संगठन के अध्यक्ष (चाहे वे किसी भी नाम से जाने जाते हों) का मत निर्णायक होगा तथा अध्यक्ष के मत के आधार पर ही प्रकरण का निर्णय होगा. हालांकि, पार्टी के संविधान में संशोधन और/या पार्टी के विलय, विभाजन या विघटन के निर्णय तथा स्वीकृति हेतु उपस्थित और मतदान करने वाले 2/3 (दो-तिहाई) सदस्यों के अनुमोदन की आवश्यकता होगी।

  • कार्यवृत्त

पार्टी अपनी सभी परिषदों/काकार्यकारिणी/समितियों आदि की सभी बैठकों के कार्यवृत्त बनाए रखेगी।

अनुच्छेद VIII: पार्टी निधि और खाता

  1. निधियों का संग्रह
  2.  सदस्यता शुल्क, स्वैच्छिक दान, पार्टी सामग्री की बिक्री, सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि सहित अन्य समस्त अनुमन्य एवं विधिमान्य तरीकों से पार्टी के लिए धन एकत्र किया जाएगा।
  3.  केवल वही व्यक्ति, जो संबंधित कार्यकारिणी द्वारा अधिकृत हों, निधि प्राप्त करेंगे।
  4. दान और सदस्यता प्राप्तियाँ
  5. निधि संग्रहण रसीदें, केवल राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर मुद्रित की जाएँगी।
  6. प्रत्येक रसीद को विधिवत क्रमांकित किया जाएगा और समय-समय पर निर्धारित रसीदों वाली पुस्तकों को जारी किया जाएगा।
  7. बैंक खाता
  8.  पार्टी उतनी संख्या में और ऐसे स्थानों पर बैंक खाते खोलेगी, जो पार्टी द्वारा आवश्यक समझे जायेंगे।
  9. प्रत्येक बैंक खाते के लिए, तीन अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता होंगे; अर्थात् कोषाध्यक्ष और राष्ट्रीय / प्रदेश कार्यकारिणी द्वारा अधिकृत दो व्यक्ति । प्रत्येक खाता इन तीन अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं में से किन्हीं दो व्यक्तियों द्वारा संचालित किया जा सकता है, जिसमे एक कोषाध्यक्ष को अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
  10.  सभी रसीदें पार्टी के बैंक खातों में जमा की जाएँगी और सभी खर्च ऐसे बैंक खातों के माध्यम से किए जाएँगे।
  11. उपरोक्त के होते हुए भी, किसी संसदीय/सम्मत निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव के लिए, विशेष खाते खुले होने की स्थिति में, ऐसे खातों के संचालन के लिए, तीन अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता होंगे; जिन्हें राष्ट्रीय/प्रदेश कार्यकारिणी द्वारा नामित किया जाएगा।
  12. निधियों का उपयोग
  13.  पार्टी द्वारा प्राप्त धन का उपयोग, पार्टी के लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
  14. धन का उपयोग, संबंधित कार्यकारिणी द्वारा किया जाएगा। राष्ट्रीय कार्यकारिणी, निधियों के उपयोग को नियंत्रित करने वाले विनियम बना सकती है। खातों का रखरखाव प्रोद्भवन के आधार पर किया जाएगा। सभी दान और खर्चों का विवरण पूरी तरह से पारदर्शी रखा जाएगा।

अनुच्छेद IX: पार्टी संविधान की संशोधन प्रक्रिया

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए (5) में निहित अनिवार्य प्रावधानों, जो भारत के संविधान और जैसा कि कानून द्वारा स्थापित किया गया है, भारतीय संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा;  समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांत और भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने से संबंधित हैं, के अलावा इस संविधान के अन्य समस्त प्रावधानों को राष्ट्रीय परिषद द्वारा संशोधित किया जा सकता है

बशर्ते कि पार्टी के संविधान के संशोधन में, सभी सदस्यों को उचित नोटिस देने के बाद, उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों में से कम-से-कम 2/3 सदस्यों का अनुमोदन प्राप्त हो।

अनिवार्य प्रावधानों को किसी भी स्थिति में, किसी भी रूप में संशोधित नहीं किया जा सकता है।

इस प्रयोजन के लिए, राष्ट्रीय परिषद के कम से कम 10% सदस्यों के हस्ताक्षर वाले संशोधन के प्रस्ताव के प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई जाएगी। राष्ट्रीय कार्यकारिणी को भी, इस संविधान को बदलने और संशोधित करने का अधिकार होगा। ऐसी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए कोरम उसकी कुल सदस्यता का दो तिहाई होगा। कार्यकारिणी द्वारा इस प्रकार किया गया संशोधन, राष्ट्रीय परिषद के अगले सत्र में, अनुसमर्थन के पश्चात्,  तत्काल रूप से प्रभावी हो जाएगा।

संशोधन की शक्ति का प्रयोग, इस तरह से नहीं किया जा सकता है कि पार्टी के संशोधित संविधान को, भारत निर्वाचन आयोग, भारत के संविधान और इस देश के किसी भी क़ानून द्वारा जारी किए गए वैधानिक प्रावधानों या दिशानिर्देशों के विरोध में लाया जा सके।

अनुच्छेद X: विलय, विभाजन और विघटन प्रक्रिया

विलय, विभाजन और विघटन के संबंध में, निर्णय एक पूर्ण सत्र में लिया जाएगा; जिसमें सभी पदाधिकारी, प्रत्येक स्तर पर सभी अंगों के सदस्य और संसद, राज्य विधानमंडल, निगमों और पंचायतों के सदस्य शामिल होंगे। पूर्ण सत्र की बैठक के लिए कोरम, पूर्ण सत्र में भाग लेने के हकदार व्यक्तियों का 50% होगा। विलय या विभाजन या विघटन के प्रभावी होने के संबंध में, एक संकल्प के लिए, उपस्थित और मतदान करने वाले कम से कम 2/3 व्यक्तियों के अनुमोदन की आवश्यकता होगी।

संविधान की व्याख्या

राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास, इस संविधान और इसके तहत बनाए गए नियमों की व्याख्या करने की शक्ति और अधिकार होगा। उपरोक्त के संबंध में, राष्ट्रीय कार्यकारिणी का निर्णय, अंतिम और बाध्यकारी होगा; जब तक कि इसे राष्ट्रीय परिषद द्वारा अपनी अगली बैठक में उलट न दिया जाए।

विविध प्रावधान

  • कोई भी व्यक्ति, दो कार्यकारिणी का सदस्य नहीं होगा।
  •  कोई भी सदस्य, जो अपनी अनुपस्थिति की पूर्व सूचना के बिना, किसी परिषद/कार्यकारिणी की लगातार 3 बैठकों में भाग नहीं लेता है;  इस आशय का प्रस्ताव पारित होने के बाद, परिषद/कार्यकारिणी का सदस्य नहीं रहेगा।
  • राष्ट्रीय कार्यकारिणी, किसी कार्यकारिणी/परिषद के सदस्य के इस्तीफे, निष्कासन या मृत्यु के कारण रिक्तियों को भरने के लिए विनियम बनाएगी।
  • पार्टी के भीतर, नए संगठन/अंग/समिति आदि के गठन तथा इसके एवं किसी अन्य पार्टी के इस पार्टी में विलय के लिए, राष्ट्रीय कार्यकारिणी मानदंड और विशेष व्यवस्था करेगी, जिसका अनुमोदन राष्ट्रीय परिषद् की अगली बैठक में किया जायेगा.
  • पार्टी किसी भी तरह से न तो हिंसा को बढ़ावा देगी, न ही हिंसा को उकसाएगी और न ही हिंसा में भाग लेगी।
  • प्रत्येक पदाधिकारी के लिए पद-धारण की अवधि 04 (चार) वर्ष होगी तथ इन सभी पदों के लिए इस चार वर्ष की अवधि पूर्ण होने के पूर्व उन पदों के लिए अनिवार्य रूप से निर्वाचन कार्य संपन्न कर लिया जायेगा.  
  • पार्टी पंजीकरण के 5 वर्षों के भीतर, भारत निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित चुनाव में अवश्य ही प्रतिभाग करेगी तथा उसके बाद निरंतर चुनाव में प्रतिभाग करती रहेगी.
  • पार्टी अपने खाते को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट से ऑडिट करवाते हुए प्रत्येक वित्तीय वर्ष के 60 दिनों के अन्दर भारत निर्वाचन आयोग को इस ऑडिट आख्या की प्रति प्रेषित करेगी.
  • विभिन्न स्तर की कमिटी/सभा/संगठन आदि के पदाधिकारियों के लिए प्रत्येक 04 (चार) वर्ष में चुनाव की स्पष्ट व्यवस्था पार्टी संविधान में है तथा जैसा संविधान के विभिन्न प्रस्तरों में अंकित है, सभी उच्चस्तरीय एवं प्रतिनिधि ईकाई का गठन मात्र लोकतांत्रित निर्वाचन प्रक्रिया के माध्यम से किया जायेगा.
  • पार्टी के सभी पदों हेतु निर्वाचन पूरी तरह लोकतांत्रिक ढंग से होगा, जो राष्ट्रीय परिषद् द्वारा अनुमोदित तथा राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा प्रतिपादित एवं स्थापित एक आतंरिक निर्वाचन समिति द्वारा संपादित किया जायेगा, जो इस आतंरिक निर्वाचन समिति के स्वरुप, समयावधि, कार्य तथा प्रक्रिया का निर्धारण करेगा.
  • पार्टी का कार्य पूरी तरह लोकतांत्रिक प्रणाली के अनुसार संचालित होगा तथा प्रत्येक स्तर पर प्रत्येक निर्णय सम्बंधित ईकाई/संगठन द्वारा मात्र बहुमत के आधार पर लिया जायेगा.
  • किसी भी स्तर पर किसी भी ईकाई में निर्णय की प्रक्रिया के दौरान टाई (बराबरी) होने की स्थिति में संबंधित ईकाई/समिति/संगठन के अध्यक्ष (चाहे वे किसी भी नाम से जाने जाते हों) का मत निर्णायक होगा तथा अध्यक्ष के मत के आधार पर ही प्रकरण का निर्णय होगा.
  • जब भी इस संविधान के विभिन्न प्रावधानों तथा अनुच्छेद X के विविध प्रावधानों के मध्य किसी भी प्रकार के विवाद या विरोधाभाष की स्थिति उत्पन्न होती है तो इस संविधान के अनुच्छेद X के विविध प्रावधानों में वर्णित प्रावधान प्रभावी होंगे तथा इस संविधान के अन्य भाग में अंकित विरोधाभाषी प्रावधान इस संविधान द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार तदनुसार संशोधित किये जायेंगे.

अनुच्छेद XI: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए (5) के तहत अनिवार्य प्रावधान। 

पार्टी भारत के संविधान और कानून के अनुसार स्थापित प्रावधानों में; और समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांतों के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखेगी; और वह भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखेगी।

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